आपकी दोस्ती को ईमान मानते हैं,
निभाना अपना ईमान मानते हैं
हम वो नहीं जो दोस्ती में अपनी जान दें
क्योकि दोस्तों को हम अपनी जान मानते हैं।
तुम्हारी इस अदा का क्या जवाब दूं,
अपने दोस्त को क्या दुआ दूं
कोई अच्छा सा गुलाब होता तो किसी से मंगवाता,
जो खुद गुलाब है उसको क्या गुलाब दूं।
हम कितने भी दूर रहे, पर
दोस्ती के सिलसिले कभी कम नहीं होगे
तुम जहां भी हो पलटकर देखना,
तुम्हारे साये की जगह हम ही होगे।
कोई दोस्त ऐसा बनाया जाए
जिसके आसुंओ को पलको में छुपाया जाए
रहे उसका और मेरा रिश्ता ऐसा कि अगर वो रहे उदास तो
हमसे भी ना मुस्कराया जाए।
मजबुर हम नही कि उनको भूल जाएं
खिलौना हम नहीं कि यूं ही टूट जाएं
दुआ से खरीदा है हमने अपनी दोस्ती को
दौलत से नहीं कि कही रखकर भूल जाएं।
जो चीज मांगकर मिले वो मन्नत है
चाहकर मिले वो चाहत है
पास हो तो अमानत है
दिल से मिले वो रहमत है
पर आप जैसा दोस्त मिले वो हमारी किस्मत है।
No comments:
Post a Comment